एक बार की बात है, गांव के पास एक बड़ा सा जंगल था। वह जंगल बहुत ही अद्भुत और रहस्यमय था। वहाँ पर कई प्रकार के पशु-पक्षी रहते थे। इस जंगल में एक साबली और आक्रमक कौआ रहता था।
जो कौआ जिस जंगल में रहता था, वह बहुत ही साहसी और आत्मविश्वासी था। वह दिन-रात जंगल के आकर्षण की खोज करता रहता था और वह अपने आप को दुनिया के सबसे बड़े और सबसे बुद्धिमान कौआ मानता था।
एक दिन, उस कौए ने देखा कि जंगल में एक दुसरा कौआ आया हुआ था। वह कौआ नया था और बहुत ही डरपोक दिख रहा था। साबली कौआ ने उसके पास जाकर पूछा, "तुम कहाँ से आए हो और तुम्हारा नाम क्या है?"
नया कौआ डरकर उत्तर दिया, "मेरा नाम श्याम है और मैं एक पार जंगल से आया हूँ।"
साबली कौआ मुस्कराया और बोला, "मैं तुम्हें इस जंगल के बारे में सब कुछ बता सकता हूँ और तुम्हारी मदद कर सकता हूँ।"
श्याम कौआ बहुत खुश हुआ क्योंकि वह डरपोक था और अब उसे एक साथी मिल गया था। साबली कौआ ने श्याम कौआ को उनके जंगल के बारे में सब कुछ सिखाया और उसे आत्म-संवाद का महत्व भी समझाया।
वे दोनों एक साथ जंगल में घूमने लगे और साथ ही जंगल के अन्य पशु-पक्षी के साथ मिलकर दोनों ने बहुत सारी रोचक कहानियों को सुना। श्याम कौआ ने भी अब डर को हरा दिया और वह भी साहसी हो गया।
इसके बाद, श्याम और साबली कौआ जंगल के सभी पशु-पक्षियों के बीच में अच्छे दोस्त बन गए और वे सब मिलकर जंगल की बेहद सुंदर और भव्य सौंदर्य की सराहना करते रहते थे।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सही साथी मिलने पर, हम अपने डर को हर सकते हैं और नए अवसरों को खोज सकते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि दोस्ती और सहयोग हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है।
Comments
Post a Comment